जिंदगांणी रौ हेलौ
- भगवती कुमार शर्मा
भानुभार्इ नै केर्इ बरसां सूं लागै हौ कै साळी आ जिंदगांणी कीं खास तजरबां बिनां-र्इ कट जासी, पचास बरस तौ गया-र्इ। कीं हुकहुकी, जोस, उतार-चढ़ाव रौ झौलौ, ऊंचाव सूं नीचै पड़नै रौ खुड़कौ, उत्तराद-दिखणाद रा हचका, उछाड़-पछाड़, ललकार, उडार, घमघमाट, हियै री हूंस थांम देवणै वाळी सूनेड़, काळजौ फाट जावै अैड़ा लचका, पूंचै रा बाळ सिखर हुय जावै अैड़ौ सीळौ बायरौ, बायरै साथै उडतां थकां बतळावण करणै पेटै मांयनै सूं जागती हूक, नस-नस मांयनै खेंचाव लावणै वाळौ बिणज रौ अैड़ौ घाटौ कै दिवाळियौ हुवणै री गत आ जावै, लाटरी रौ लागणौ- जिण कारणै रातूंरात करोड़पति हुवणै रै हरख पेटै दिमाग सरकणै री चींत- आं मांयनै सूं कीं तौ नीं हुयौ। सुभट जमाव, सीधी जिंदगाणी, बुलबलां तांणी नीं- भंवर री तौ बात-र्इ के? ऊंची-ऊंची जबरी मौजां तांणी नीं, ज्वार री तरंगां नीं, भाटै रौ रीतापणौ नीं, वा नदी नीं जिण मांयनै बळतै-सिलगतै गरमी रै मौसम मांयनै सूख जावणै री पीड़ अर बिरखा मांय कांठै री हद सूं बारै काढ़णै रौ रेळौ हुवै, झील नीं कैवां, बेसी सूं बेसी तळाव.......।

पड़ोस मांयनै सोळह बरस री वा जया रैंवती, जकी दो चोटîां बणांवती अर बाळां मांय लप्प भरनै तेल लगावती। वींनै पानड़ी लिखणै री बहोत जी मांय आवती। तीन-च्यार पानड़ी लिखी र्इज, पण फाड़ दीन्ही। जया री प्याला जैड़ी आंख्यां मांयनै नूंतौ-र्इ हुंवतौ। पण वै कागद, जिणनै वौ मन-र्इ-मन 'लव लेटर्स कैंवतौ, वांनै जया तांणी नीं पुगाया। पण, वीं आपरै टाबरपणै रै भायलै सुंदर नै अेक धांसू कागद लिखनै दीन्हौ हौ, जकौ वीं अणरोकै सविता तांणी पूगा दीन्हौ, वौ-र्इ हाथूंहाथ। सुंदर कैंवतौ कै वींनै बांचनै सविता खासी राजी हुयी, 'इत्तौ जबरौ कागद! थूं अैड़ी भासा मांयनै लिख सकै? वीं केर्इ बरियां कैयौ हौ। दूजै दिन सूं र्इज सविता अर सुंदर बांगां, होटलां अर सिलेमा घरां मांयनै मौज सूं घूमणै लाग्या। 'थांरै लिख्योड़ै कागद रौ र्इ असर है, सुंदर कैयौ। पण, इण कारणै हरख नीं हुयौ। उळटौ......।
जया-र्इ जांणै उडीकती-उडीकती आथपगी अर छेकड़ वा रमण रै साथै घूमणै लागी। तद वीं खासी झाळ खार्इ, रमण अर जया माथै, अर सैंग सूं बेसी खुदौखद माथै। वींरै घणी जी मांयनै आर्इ कै वौ रमण री पैंट पकड़नै कैवै, 'औ सुवर, जया माथै सूं हाथ चकलै, वा म्हारी है! अर वींरै साथै राड़ करै। पण, पछै खुद रै र्इज मन मांयनै सवाल ऊभौ हुयौ, 'किण हक कारणै? अर ऊफणता हाथ बरफ री भांत जम जावता।
भानुभार्इ रा बाप हा पीताम्बरदास, जिणां नै समचा दासभार्इ रै नांव सूं बतळावता। वां बेटै सारू जकी छोरी छांटी, वा जया नीं, जड़ावगौरी ही, इंयां वींनै 'छोरी तौ कैवणगत-र्इ कैइज सकै हौ। असल मांयनै वा भानुभार्इ सूं खासा लाम्बी ही अर बणांव मांयनै-र्इ मजबूत ही। रंग-र्इ सांवळौ। दो दांत आगीनै निसरेड़ा। पण, धनवांन बाप री अेकल बेटी ही। घरू कारज चोखी भांत कर लेंवती। वां दिनां भानुभार्इ कीं-कीं अधकचरी कवितावां लिख लेंवतौ। वींरी चितार मांयनै आपरी चावती नारी रौ अेक चितरांम सांचरग्यौ हौ। लाख आफळ करîां पछै-र्इ वौ चितरांम जड़ावगौरी सूं मेळ नीं खावतौ। दासभार्इ जद भानुभार्इ नै जड़ावगौरी रै साथै ब्याव करणै रौ हुकम दे दीन्हौ तद भानुभार्इ बाप रै साथै बगावत करणै पेटै सोच्यौ। अणडरोक हुयनै कैवणौ चायौ, 'म्हैं मर जासूं, घर छोडनै भाज जासूं, पण इण हिडिम्बा रै साथै कदै-र्इ ब्याव नीं करसूं। अर इणरै पछै बारै री दाझती दुनिया मांयनै खारा, करड़ा अर चिलकता अेलम री खोज सारू जावणै री इच्छîा हुर्इ। पण दासभार्इ आंख्यां काढ़नै अर पून मांय मुटठी उछाळतै करड़ी बोली मांयनै हुकम दीन्हौ तौ भानुभार्इ रौ आखौ जोस बिरखा मांय भिजेड़ी बिल्ली री भांत हुयग्यौ अर आंख्यां मींचनै वौ जड़ावगौरी रै साथै बंधग्यौ, पण पछै वीं खुदनै इंयां धीजौ बंधायौ कै चालौ वौ-र्इ अेक अनुभव र्इ हौ? अैड़ी लुगार्इ रै साथै अेक-र्इ घरै, अेक-र्इ बिस्तरै माथै, समची जिंदगांणी काटणी पड़सी, वा अेक ललकार नीं ही तौ के ही? साथै-र्इ औ विचार-र्इ वींरौ लारौ नीं छोडै हौ कै आपरौ सो-कीं तजनै र्इज अेक अैड़ी मनचावती लुगार्इ नै पूगणौ, जिणनै लेयनै कविता अर दोरी भासावळी मांयनै कागद लिखीज सकै अर जिणरै साथै सपनैभांत जीवण काटीज सकै, के वौ अेक जबरौ अनुभव नीं हुय सकै? तौ, बात पछै इंयां है! अनुभव रौ मतलब-र्इ अनुभव..... औ-र्इ अनुभव अर वौ-र्इ अनुभव! साव अनुभव जैड़ी-र्इ कोर्इ चीज होसी? कीं समझ मांयनै नीं आवै हौ।

नौकरी पेटै-र्इ औ र्इज हुयौ? ग्रेजुएट री डिग्री लेंवता-र्इ बैंक मांय नौकरी लागगी। कविता करतौ काळजौ आंकड़ा मांयनै जा बैठग्यौ। छंद री लघु-गुरु री मात्रावां री ठौड़ क्रेडिट-डेबिट रा जुमळा, ....साळौ, बेरोजगारी रौ र्इ अनुभव नीं मिल्यौ। अरजी देंवता-देंवता थक जावै, इंटरव्यू देंवता-देंवता पगां मांयनै अर आंख्यां मांयनै पाणी आ जावै, अखबारां मांय 'वांटेड रौ कालम बांचता-बांचता उबकाइ आवणै लागै, 'नो वैकेन्सी रै उथळै नै सुण-सुणनै दिमाग सूनौ हुय जावै, छोटी-सी नौकरी पेटै खासी घूस देवणी पड़ै अर छेकड़ मेडिकल टेस्ट मांय अनफिट बताइजै, चस्मौ बेसी नंबरां रौ है, इण बात माथै तांणीजै- अैड़ौ कीं नीं हुयौ। अेक अरजी, दिखावै सारू अेक इंटरव्यू अर दूजै दिन सूं नौकरी! अर नौकरी मांय-र्इ किणी दूजी ठौड़ बदळी नीं हुर्इ, जिण कारणै लागै कै काळै पांणी री सजा हुर्इ हुवै। नीं कदै घूस ली, नीं र्इ कदै कुण-र्इ फटाफट लोन पास करवावणै पेटै घूस देवणै रौ आफर दीन्हौ, नीं कदै घूस लेंवतां पकड़îां पछै नौकरी सूं सस्पेंड हुयौ, नीं किणी बात नै लेयनै डिपार्टमेंटल इन्क्वायरी हुर्इ। नीं कदै कैश मांय नोटां री गडडी बेसी देवणै कारणै खुद कांनी सूं पांच-दस हजार रिपिया भरणा पड़îा। नीं कदै बास रै साथै कैया-सुणी हुर्इ। नीं सेल्फ रिस्पेक्ट री बात आवता फटाक-सी इस्तीफौ दियौ। नीं र्इ आपरै साथै कारज करणै वाळां साथै जाळ रच्यौ कै बेनामी अरजी भेजी। नीं कदै औ मौकौ मिल्यौ कै सांम्ही दावपेंच खेलीजै। नीं इन्क्रीमेंट रुक्यौ, नीं डिग्रेड हुयौ। आ र्इज नीं हुर्इ कै लोन री किस्तां नीं भरीजणै पछै नोटिस दीरीज्यौ- कीं र्इज तौ नीं हुयौ।
और तौ और, कीं प्रेम-कहाणी जैड़ी बात र्इज नीं हुयी। आफिस मांयनै उणरी क्लर्क मिस सोहिणी दलाल, वींनै आपरै घरां आवणै रा नूंता देंवती-देंवती थाकगी। जाबक अेकली रैवै वा! खासा उम्र हुयगी अर वा कुंवारी-र्इ रैयगी। दफ्तर मांयनै वींरै पेटै घणी बातां सुणीजती। इणां मांय भानुभार्इ-र्इ रस लेंवता। अबै-र्इ देखां तद आंख्यां नै सुहावै। जाबक चुस्त अर स्मार्ट ही। जवांन-र्इ लागती। खासौ हेताळू ब्यौवार राखती। लंच रै बगत अणथकै कदै सैण्डविच तौ कदै पकोड़ा शेयर करणै रौ कैंवती। पण भानुभार्इ अणमणौ रैंवतौ। फगत उणरी पीठ नै टकटकी साथै देखतौ रैंवतौ। जया नै नीं पूगाइजी पानड़ी सूं लेयनै मिस सोहिणी दलाल रै सैण्डविच सारू लाम्बा हुंवता हाथ तांणी औ-र्इ धारौ.......

औ हौ! वीं सणफणावतै अनुभव री पावण पेटै नांवजोग हुवणै वाळै अनुभव री आस र्इज सांमड़गी! अण अनुभूत, अण अनुभूत अर पछै-र्इ अण अनुभूत। तीनुंवां री सींव इत्ती नैड़ै अर पछै-र्इ अळगा अर साथै-र्इ अेक-दूजै मांय रळमिळ जावै...... घुळमिळ जावै, पछै-र्इ.........!
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