गुजराती कहाणी



जिंदगांणी रौ हेलौ

- भगवती कुमार शर्मा

भानुभार्इ नै केर्इ बरसां सूं लागै हौ कै साळी आ जिंदगांणी कीं खास तजरबां बिनां-र्इ कट जासी, पचास बरस तौ गया-र्इ। कीं हुकहुकी, जोस, उतार-चढ़ाव रौ झौलौ, ऊंचाव सूं नीचै पड़नै रौ खुड़कौ, उत्तराद-दिखणाद रा हचका, उछाड़-पछाड़, ललकार, उडार, घमघमाट, हियै री हूंस थांम देवणै वाळी सूनेड़, काळजौ फाट जावै अैड़ा लचका, पूंचै रा बाळ सिखर हुय जावै अैड़ौ सीळौ बायरौ, बायरै साथै उडतां थकां बतळावण करणै पेटै मांयनै सूं जागती हूक, नस-नस मांयनै खेंचाव लावणै वाळौ बिणज रौ अैड़ौ घाटौ कै दिवाळियौ हुवणै री गत आ जावै, लाटरी रौ लागणौ- जिण कारणै रातूंरात करोड़पति हुवणै रै हरख पेटै दिमाग सरकणै री चींत- आं मांयनै सूं कीं तौ नीं हुयौ। सुभट जमाव, सीधी जिंदगाणी, बुलबलां तांणी नीं- भंवर री तौ बात-र्इ के? ऊंची-ऊंची जबरी मौजां तांणी नीं, ज्वार री तरंगां नीं, भाटै रौ रीतापणौ नीं, वा नदी नीं जिण मांयनै बळतै-सिलगतै गरमी रै मौसम मांयनै सूख जावणै री पीड़ अर बिरखा मांय कांठै री हद सूं बारै काढ़णै रौ रेळौ हुवै, झील नीं कैवां, बेसी सूं बेसी तळाव.......।
फटाफट पढ़ार्इ हुयगी। अेकाध डिग्री सिर ऊंचाय लीन्ही। कदै-र्इ फेल हुवणै रौ सदमौ नीं। नीं र्इज फस्र्ट क्लास आवणै रौ जबरौ उमाव। नीं छाती चवड़ी करनै स्कूल-जळसां मांयनै कीं इनांम-इकरांम लीन्हा अर नीं ही कदै क्लास-टीचर धौळ-थप्पड़ र्इज मारîा! इस्कूल-कालेज मांय कदै क्लास रौ मानिटर कै मंत्री र्इज नीं बणाइजौ। घर सूं आंतरै हास्टल मांय रैयनै अलमस्त जिंदगांणी काटणै रौ बगत र्इज नीं मिल्यौ। लेटि्रन मांय नौकर कै भायलां रै साथै बीड़ी-सिगरेट री सट लगावणै री र्इज कदै हिम्मत नीं हुर्इ। अंडा फोड़नै आमलेट र्इज नीं खायौ। अर टैक्स्ट-बुक मांयनै लुकायनै पीळै कवर वाळी चिकणी किताबां-र्इ नीं बांची। कीं करîौ तौ फगत इत्तौ-र्इ कै मारग माथै कालेज आवती-जावती छोरîां कांनी निजरां न्हांख ली, अर वै-र्इ कांणैकोइयां। गळौ फाड़नै गाळ नीं काढ़ी किन्नै-र्इ। फगत मन-र्इ-मन गाळां नै चाकलेट री भांत गोळ-गोळ घुमाय लीन्ही। दो आंगळîां नै मूंडै मांय दाबनै अर जीभ नै मरोड़ कदै सीटी-र्इ नीं बजार्इ। हां, कदै होंठां सूं हळकी-सी सीटी बजार्इ, जिणरी गूंज खुद तांणी घणी दोरी पूगी। आ पीड़ ही- कठै, कठै-र्इ नीं पूगणै री।
पड़ोस मांयनै सोळह बरस री वा जया रैंवती, जकी दो चोटîां बणांवती अर बाळां मांय लप्प भरनै तेल लगावती। वींनै पानड़ी लिखणै री बहोत जी मांय आवती। तीन-च्यार पानड़ी लिखी र्इज, पण फाड़ दीन्ही। जया री प्याला जैड़ी आंख्यां मांयनै नूंतौ-र्इ हुंवतौ। पण वै कागद, जिणनै वौ मन-र्इ-मन 'लव लेटर्स कैंवतौ, वांनै जया तांणी नीं पुगाया। पण, वीं आपरै टाबरपणै रै भायलै सुंदर नै अेक धांसू कागद लिखनै दीन्हौ हौ, जकौ वीं अणरोकै सविता तांणी पूगा दीन्हौ, वौ-र्इ हाथूंहाथ। सुंदर कैंवतौ कै वींनै बांचनै सविता खासी राजी हुयी, 'इत्तौ जबरौ कागद! थूं अैड़ी भासा मांयनै लिख सकै? वीं केर्इ बरियां कैयौ हौ। दूजै दिन सूं र्इज सविता अर सुंदर बांगां, होटलां अर सिलेमा घरां मांयनै मौज सूं घूमणै लाग्या। 'थांरै लिख्योड़ै कागद रौ र्इ असर है, सुंदर कैयौ। पण, इण कारणै हरख नीं हुयौ। उळटौ......।

जया-र्इ जांणै उडीकती-उडीकती आथपगी अर छेकड़ वा रमण रै साथै घूमणै लागी। तद वीं खासी झाळ खार्इ, रमण अर जया माथै, अर सैंग सूं बेसी खुदौखद माथै। वींरै घणी जी मांयनै आर्इ कै वौ रमण री पैंट पकड़नै कैवै, 'औ सुवर, जया माथै सूं हाथ चकलै, वा म्हारी है! अर वींरै साथै राड़ करै। पण, पछै खुद रै र्इज मन मांयनै सवाल ऊभौ हुयौ, 'किण हक कारणै? अर ऊफणता हाथ बरफ री भांत जम जावता।
भानुभार्इ रा बाप हा पीताम्बरदास, जिणां नै समचा दासभार्इ रै नांव सूं बतळावता। वां बेटै सारू जकी छोरी छांटी, वा जया नीं, जड़ावगौरी ही, इंयां वींनै 'छोरी तौ कैवणगत-र्इ कैइज सकै हौ। असल मांयनै वा भानुभार्इ सूं खासा लाम्बी ही अर बणांव मांयनै-र्इ मजबूत ही। रंग-र्इ सांवळौ। दो दांत आगीनै निसरेड़ा। पण, धनवांन बाप री अेकल बेटी ही। घरू कारज चोखी भांत कर लेंवती। वां दिनां भानुभार्इ कीं-कीं अधकचरी कवितावां लिख लेंवतौ। वींरी चितार मांयनै आपरी चावती नारी रौ अेक चितरांम सांचरग्यौ हौ। लाख आफळ करîां पछै-र्इ वौ चितरांम जड़ावगौरी सूं मेळ नीं खावतौ। दासभार्इ जद भानुभार्इ नै जड़ावगौरी रै साथै ब्याव करणै रौ हुकम दे दीन्हौ तद भानुभार्इ बाप रै साथै बगावत करणै पेटै सोच्यौ। अणडरोक हुयनै कैवणौ चायौ, 'म्हैं मर जासूं, घर छोडनै भाज जासूं, पण इण हिडिम्बा रै साथै कदै-र्इ ब्याव नीं करसूं। अर इणरै पछै बारै री दाझती दुनिया मांयनै खारा, करड़ा अर चिलकता अेलम री खोज सारू जावणै री इच्छîा हुर्इ। पण दासभार्इ आंख्यां काढ़नै अर पून मांय मुटठी उछाळतै करड़ी बोली मांयनै हुकम दीन्हौ तौ भानुभार्इ रौ आखौ जोस बिरखा मांय भिजेड़ी बिल्ली री भांत हुयग्यौ अर आंख्यां मींचनै वौ जड़ावगौरी रै साथै बंधग्यौ, पण पछै वीं खुदनै इंयां धीजौ बंधायौ कै चालौ वौ-र्इ अेक अनुभव र्इ हौ? अैड़ी लुगार्इ रै साथै अेक-र्इ घरै, अेक-र्इ बिस्तरै माथै, समची जिंदगांणी काटणी पड़सी, वा अेक ललकार नीं ही तौ के ही? साथै-र्इ औ विचार-र्इ वींरौ लारौ नीं छोडै हौ कै आपरौ सो-कीं तजनै र्इज अेक अैड़ी मनचावती लुगार्इ नै पूगणौ, जिणनै लेयनै कविता अर दोरी भासावळी मांयनै कागद लिखीज सकै अर जिणरै साथै सपनैभांत जीवण काटीज सकै, के वौ अेक जबरौ अनुभव नीं हुय सकै? तौ, बात पछै इंयां है! अनुभव रौ मतलब-र्इ अनुभव..... औ-र्इ अनुभव अर वौ-र्इ अनुभव! साव अनुभव जैड़ी-र्इ कोर्इ चीज होसी? कीं समझ मांयनै नीं आवै हौ।
हवळै-हवळै वींनै ठाह पड़नै लागग्यौ कै जड़ावगौरी मांयनै कीं अैड़ी बात नीं ही जिणनै लेयनै वौ वींरै साथै मेळ नीं बैठा सकै, कै पछै वा खुद नै धीजौ बंधावणै री बात ही? जकौ कीं हुवौ, वा लुगार्इ ठीक ही- उणरी घणी मांग नीं ही अर जद चावौ खुद रौ डील अरप सकै ही। अर, डील नै छोडनै वीं कन्नै हौ के, जकौ वींसूं मिल सकै हौ? ब्याव रै पांच बरसां मांय वींसूं तीन टाबर जाम्या। जे फरियाद र्इज करणी हुवै तौ किण बात नै लेयनै करीजै? साळा! फरियाद करतां थकां-र्इ जी नै दाझता अनुभवां सूं र्इज कोसां अळगौ रैवणौ के? इत्तौ, इत्तौ सबळौ संतोख मन मांयनै हेलौ करतौ रैवै, आ-र्इ कोर्इ आच्छी बात है के? कदै-कदै वीं रै जी मांयनै आवती कै जड़ावगौरी रै साथै राड़ करै कै कठै-र्इ वींरै पेटै-र्इ जिदगांणी मांयनै खळबळाट माचै तौ सरी! पण हाथूंहाथ मन मांयनै सवाल आवतौ, क्यूं? कीं कारण-र्इ है के? तौ हाथूंहाथ दूजौ सवाल उछळतौ, बिना कारण-र्इ राड़ नीं करीजै के? राड़ री मौज.... के इणरौ कीं अनुभव नीं लीरीजै? रैय-रैयनै रीजनिंग रौ वौ भाठौ..... झाळां आवती इण 'कारण रै झंझट मांयनै सूं। जांणै चाकी रौ पाट हुवै वौ। बिनां कीं कारणै फगत मन री मौज खातर, बेफिकर भांत सूं वौ ब्यौवार करणै रौ अनुभव नीं लीरीज सकै, पण अैड़ौ करणै रौ कीं..... फेरूं वौ-र्इ कारण रौ झंझट! अनुभव खातर कीं कारणै र्इज हुंवतौ हुसी के?
नौकरी पेटै-र्इ औ र्इज हुयौ? ग्रेजुएट री डिग्री लेंवता-र्इ बैंक मांय नौकरी लागगी। कविता करतौ काळजौ आंकड़ा मांयनै जा बैठग्यौ। छंद री लघु-गुरु री मात्रावां री ठौड़ क्रेडिट-डेबिट रा जुमळा, ....साळौ, बेरोजगारी रौ र्इ अनुभव नीं मिल्यौ। अरजी देंवता-देंवता थक जावै, इंटरव्यू देंवता-देंवता पगां मांयनै अर आंख्यां मांयनै पाणी आ जावै, अखबारां मांय 'वांटेड रौ कालम बांचता-बांचता उबकाइ आवणै लागै, 'नो वैकेन्सी रै उथळै नै सुण-सुणनै दिमाग सूनौ हुय जावै, छोटी-सी नौकरी पेटै खासी घूस देवणी पड़ै अर छेकड़ मेडिकल टेस्ट मांय अनफिट बताइजै, चस्मौ बेसी नंबरां रौ है, इण बात माथै तांणीजै- अैड़ौ कीं नीं हुयौ। अेक अरजी, दिखावै सारू अेक इंटरव्यू अर दूजै दिन सूं नौकरी! अर नौकरी मांय-र्इ किणी दूजी ठौड़ बदळी नीं हुर्इ, जिण कारणै लागै कै काळै पांणी री सजा हुर्इ हुवै। नीं कदै घूस ली, नीं र्इ कदै कुण-र्इ फटाफट लोन पास करवावणै पेटै घूस देवणै रौ आफर दीन्हौ, नीं कदै घूस लेंवतां पकड़îां पछै नौकरी सूं सस्पेंड हुयौ, नीं किणी बात नै लेयनै डिपार्टमेंटल इन्क्वायरी हुर्इ। नीं कदै कैश मांय नोटां री गडडी बेसी देवणै कारणै खुद कांनी सूं पांच-दस हजार रिपिया भरणा पड़îा। नीं कदै बास रै साथै कैया-सुणी हुर्इ। नीं सेल्फ रिस्पेक्ट री बात आवता फटाक-सी इस्तीफौ दियौ। नीं र्इ आपरै साथै कारज करणै वाळां साथै जाळ रच्यौ कै बेनामी अरजी भेजी। नीं कदै औ मौकौ मिल्यौ कै सांम्ही दावपेंच खेलीजै। नीं इन्क्रीमेंट रुक्यौ, नीं डिग्रेड हुयौ। आ र्इज नीं हुर्इ कै लोन री किस्तां नीं भरीजणै पछै नोटिस दीरीज्यौ- कीं र्इज तौ नीं हुयौ।
और तौ और, कीं प्रेम-कहाणी जैड़ी बात र्इज नीं हुयी। आफिस मांयनै उणरी क्लर्क मिस सोहिणी दलाल, वींनै आपरै घरां आवणै रा नूंता देंवती-देंवती थाकगी। जाबक अेकली रैवै वा! खासा उम्र हुयगी अर वा कुंवारी-र्इ रैयगी। दफ्तर मांयनै वींरै पेटै घणी बातां सुणीजती। इणां मांय भानुभार्इ-र्इ रस लेंवता। अबै-र्इ देखां तद आंख्यां नै सुहावै। जाबक चुस्त अर स्मार्ट ही। जवांन-र्इ लागती। खासौ हेताळू ब्यौवार राखती। लंच रै बगत अणथकै कदै सैण्डविच तौ कदै पकोड़ा शेयर करणै रौ कैंवती। पण भानुभार्इ अणमणौ रैंवतौ। फगत उणरी पीठ नै टकटकी साथै देखतौ रैंवतौ। जया नै नीं पूगाइजी पानड़ी सूं लेयनै मिस सोहिणी दलाल रै सैण्डविच सारू लाम्बा हुंवता हाथ तांणी औ-र्इ धारौ.......
वीं रै कित्ती जी मांयनै आर्इ कै बैंक मांय कुण-र्इ सोहिणी दलाल अर वींरै पेटै बातां पसरावै। साथै कारज करणै वाळां मांय कानाफुसी हुवै अर वै आंख्यां मीचमीच करनै लागै। अर पछै, आ बात अफवाह बणनै खुद रै घर तांणी पूग जावै। कै पछै कुण-र्इ बेनामी भूंडौ कागद वीं रै घर ठिकाणै घालै, जकौ जड़ावगौरी रै हाथां मांय पूगै अर जड़ावगौरी प्हाड़ बरोबर राड़ ऊभी कर दै, अर तद वौ छाती तांणनै आ कैय सकै कै हां, वौ सोहिणी दलाल नांव री अेक फूटरी लुगार्इ नै सिर सूं पगां तांणी हेत करै। अर जड़ावगौरी धड़तियां सिर पटकणै लागै अर मर जावणै री धमकी देवै अर वौ खुद रै मांयनै मरदानगी मैसूसै। कै पछै जड़ावगौरी नै ऊकचूक करनै कैवै कै औ किणी दुसमीं बदळौ लेवणै खातर झूठ लिख्यौ है। अर आ कैयनै वौ समची बात मजाकां मांय उडा देवै। अर दूजै दिन जद सोहिणी दलाल आपरा सैण्डविच शेयर करणै री अरज करती थकी वींरी कैबिन मांय आवै तौ वौ कैवै कै आज म्हैं थांरै सूं अेक खास बात करणौ चावूं, अर खास सबद माथै बेसी जोर देवै अर आ सुणनै सोहिणी री आंख्यां मांयनै इचरच जामै, जिण कारणै वा बेसी सोवणी दिखणै लागै। पछै वा तसल्ली करनै कै कैबिन रौ दरूजौ चोखी भांत बंद है, सोहिणी नै नैड़ै आंवणै रा अैनांण देवै अर आंख्यां मांय आंख्यां घालनै कैवै, 'डु यू नो, आपणै पेटै बैंक मांयनै भांत-भांत री बातां चालै? अर आ कैयनै वौ उथळै री उडीक करै अर सोहिणी दलाल 'ओह नो! कैयनै आपरी लाल-लाल जीभ कीं बारै काढ़नै मस्ती री हांसी हांसणै लागै। कै पछै आ कैवै कै 'ठाह है? थंनै लेयनै आज म्हारै घरै राड़ हुयगी? अर इण मांय 'थंनै लेयनै सबदां माथै खास जोर देवै, अर रोहणी दलाल री आंख्यां मांय इचरच, डर, चींत जैड़ा भावां री मिठास तिरणै लागै। अर वौ बेनामी कागद अर जड़ावगौरी री राड़ पेटै बतावणै लागै। सोहिणी दलाल जद कैवै, 'ओह, आर्इ एम सारी। तौ वौ कैय देवै, 'इण मांयनै अफसोस करणै जैड़ी कीं बात नीं। आन द कांट्ररी, थंनै लेयनै (पछै इणी सबदां माथै जोर देयनै) इत्तौ सैवणै री हिम्मत है, आ तौ खासै हरख री बात है। अर आ कैंवतां थकां वौ सोहिणी दलाल री धूजती आंगळîां रै पैरवां नै भींच दै अर पांच-र्इ मिनट मांयनै वौ गैलेक्सी थियेटर मांय सिंझîा कोर्इ रददी फिलम देखणै रौ बींत बैठा लेवै अर दफ्तर सूं सीधा-र्इ, पण अळगा-अळगा, वै थियेटर पूगै। अर हिन्दी फिलमां मांयनै लाधती सिच्युएशन री भांत जड़ावगौरी र्इज उणी शो में फिलम देखणै आयेड़ी हुवै अर वींनै वा सोहिणी दलाल रै साथै देख लेवै अर इंटरवल मांय वा थियेटर रै फायर मांय सोहिणी दलाल रौ चूंडौ पकड़नै शेरणी री भांत घींसनै ले जावै अर सूगलै कागला री कां-कां अर टिडी रै टोळ दांर्इं पसर जावै अर वींनै मरणै जोग लागै अर धरती दराड़ देवै तौ वीं मांय समा-र्इ जावै। अपघात रा विचार मन मांय आवणै लागै अर खटमल मारणै री दवार्इ पीयनै कै खुदनै रेलगाडी रै नीचै पटकनै आपरी जिंदगांणी अर वींरै दुखां रौ अर सांसां लेवणैजोग जांणगतबिहूण रौ छेकड़ ला देवै अर अेक सणफणातै अनुभव री इचरचगारी सुरंग सूं टिपणै रा छिदा-सा छिणां मांय र्इज वा सूनेड़ बणनै रैय जावै। कै पछै औ-र्इ सपनौ बैंक मांय वींरै तीस लाख रिपिया गोळमाळ करणै रै कारणै पूरौ हुय जावै- तौ पछै जड़ावगौरी अर वींरै टाबरां रौ के हुवै? सोहिणी दलाल बैंक री नौकरी चालू राखै कै छोड देवै, अखबारां मांयनै कैड़ी सणसणीजोग बातां छपणै लागै, सैंकड़ा जांणोजांण अर अणजांण लोग-र्इ ठटठा मारनै कित्ता-र्इ दिनां तांणी सोहिणी दलाल रै पेटै, तीस लाख री गोळमाळ पेटै अर वींरै अपघात पेटै मिरच-मसाला लगायनै बातां करता रैवै- अर खुद वांनै तौ इण बातां रौ ठाह-र्इ नीं लागै! .......
औ हौ! वीं सणफणावतै अनुभव री पावण पेटै नांवजोग हुवणै वाळै अनुभव री आस र्इज सांमड़गी! अण अनुभूत, अण अनुभूत अर पछै-र्इ अण अनुभूत। तीनुंवां री सींव इत्ती नैड़ै अर पछै-र्इ अळगा अर साथै-र्इ अेक-दूजै मांय रळमिळ जावै...... घुळमिळ जावै, पछै-र्इ.........! 

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