असमिया कहाणी


अेक अणभूलणजोग जातरा

- मामोनी रायसम गोस्वामी 


प्रोफेसर मीराजकर अर म्हैं काजीरंगा राष्ट्रीय उधान सूं बावड़ै हा। म्है वठै सैल करणै गया हा। म्हे दोनूं दिल्ली विश्वविधालय रै भारतीय भाषा विभाग मांय कारज करां अर असम रै पढ़ेसरîां कांनी सूं तेवड़ीजै अेक जळसै भेळा हुवणै असम गयोड़ा हा। म्हानै अंधियारौ हुवणै सूं पैली गुवाहाटी पूगणै री खतावळ ही। मीराजकर रौ कैवणौ हौ कै वींनै जंगळी जिनावरां सूं डर नीं लागै, पण आतंकवादîां सूं वौ पक्कायत-र्इ डरपतौ रैवै। वींरै अेक वाल्है मींत नै पंजाब मांय इणी आतंकवादîा मार दीन्हौ हौ। वै म्हारै सूं बरियां-बरियां बूझै हा, ''के थे थांरै फूटरै सूबै मांय आतंकवाद माथै काबू करणै मांय सफळ रैया? म्हैं समझ नीं सकै ही कै वांनै के उथळौ देवूं, क्यूंकै मारग मांय म्हानै केर्इ चैकपोस्टां माथै थाम्या हा अर जांच करणै पेटै म्हारै उणियारै माथै टार्च रौ चांनणौ पसरायौ हौ।
म्हैं कार मांय बैठी खिड़की सूं बारै देखै ही, पण म्हारौ मन पाछै काजीरंगा रै जातरू-घर रै बरींडै मांय छोळा करै हौ। जठै म्हैं बिजुली बांस रै झुरमटां मांय सूं बैंवती पून रौ सरसराटौ सुणै ही। वा मूंगा रेशम रौ बैम करावै ही। म्हंनै चांद रै चांनणै मांय वा बडाळ कोचरी-र्इ दीखै है, जकी अेक चटयन रै दरखत माथै बैठी ही अर जिणरौ सिर उणरी धड़ सूं बडौ दीखै हौ, जिंयां कै अेक जांमतै टाबर रौ हुवै। मीराजकर नै आतंकवादîां रौ डर-र्इ डरावै हौ। कुण-र्इ वींनै कैय दीन्हौ कै पंजाब रा बब्बर खालसा अर जम्मू-कश्मीर रा जे.के.एल.एफ सूं जुड़îा आतंकवादी असम रै जंगळां मांय बड़ग्या अर अठै रै लोकल टोळ साथै मिलग्या।
म्हे राष्ट्रीय राजमार्ग माथै अटावरा बगै हा। मारग रै दोनूं कांनी, कीं आंतरै प्हाड़ी ही। धांन रा खेत आपरै जबरै जौबन माथै हा। वांरौ सोनलपणौ सोनै नै र्इ नाकै बैठावै हौ। कठै-कठै वै बडा लुळतावू दीखै हा, जांणै कै बोद्धां रै गेरुवै सूं ढक्योड़ा हुवै कै अंधियारै री बांवां मांय नावड़नै ल्हुक जावणौ चावै। रैय-रैयनै मीराजकर धूजै, जांणै कठै-र्इ गोळी चालै। पछै वौ आपरै सपना मांय गम जावै, पण उणरी उदास निजरां कार री खिड़की मांय सूं बारै रा दरसाव देखै ही, जठै खेत कै जंगळ हा अर जंगळ मांय कपास, खैरा, सिसू, होलोंग पोमा, बोगी पोमा, बोकुल अर शीशम रा दरखत हा। सिंझîां रौ बगत हुवणै कारणै शीशम रेशम री कातरां मांय ल्हुक्योड़ौ-सौ दीखै पण दिनुंगै अैड़ौ लागै जांणै सूरजी वांनै उघाड़नौ चावै कै अेक जादूगर री भांत कातरां नै हिरण री खाल मांय बदळतौ हुवै।
डलेवर-र्इ सूनेड़ निवेड़ी, ''लारलै बरस आ सड़क खून सूं रंगीजी रैयी। हरमेस अठै दोनूं कांनी सूं मसीनी-गन चालती अर हथगोळा फेंकीजता। अबै अठै स्यांती है। अबै किणी रै हाथां मांय बंदूक नीं दीखै। सांच कैवूं।
जांणै नरम-नरम गलीचै रै नीचै सो-कीं दबग्यौ हुवै- खून रा छींटा, शस्त्र-अस्त्र रा ढिगला, बारुद री सौरम।
मीराजकर बोल्या, ''भलां-र्इ आपां नै हथियार निगै नीं आवै, पण काजीरंगा मांय वन विभाग रै अफसर अहमद म्हानै बतायौ हौ कै जिनावर-चोरां कन्नै विदेसी हथियार है, जिणां मांय 470 अमरीकी कारबाइन र्इ भेळी है। वां औ र्इज बतायौ हौ कै कीं तस्कर मोरी डिफू मांय पकड़ीज्या हा अर दो जिनावर-चोरां रै गोळी मारीजगी ही।
मीराजकर शस्त्र-अस्त्रां री डूंगी जांणकारी करी है, अर अबै वै पैलै विस्वजुद्ध रा किस्सा बतावै हा। अठीनै म्हारौ डलेवर रमाकांत र्इज सींवाडै रै सूबां मांय जिनावर-चोरां री बातां बतावणै लाग्यौ। रमाकांत पाकी उम्र रौ आदमी हौ अर टकलौ हुयग्यौ हौ, आपरै सिर नै सूरज सूं बचावणै खातर नेपाली टोपी ओढ़ राखी ही। वौ कीं गाटरौ हौ, पण भरवां हौ। वीं री नाड़ बुरसट री कालर मांय ल्हुक्योड़ी ही। घाटी रै दूजा बोड़ा री आंख्यां भांत वींरी आंख्यां छोटी-छोटी ही। मूंछ जाबक पतळी। जबरौ डलेवर हौ वौ। ब्रेक कै क्लच तौ कदै-कदै कांम मांय लेवै हौ।
पण म्हारौ मन और कठीनै-र्इ हौ। म्हैं गोळा-बारुद कै आतंकवादîां माथै जाबक ध्यांन नीं करîौ। म्हैं कार री खिड़की रै बारै सरण-सरण री बोली रै साथै लारै रैंवता दरखतां नै देखै ही। म्हैं वेलार्इ रै सोवणै दरखतां नै देखै ही जका कार्इ सूं इण भांत ढकीजेड़ा है जांणै लाम्बी पूंछ वाळै बांदर री टांगां बाळां सूं ढकीजेड़ी हुवै। केर्इ भांत रा दरखत हा, जिणरी बेलां मूंगा रेशम नै आपरै माथै पळेटां-र्इ ही। कीं दरखत वां जबरै खंडहरां री भांत दीखै हौ, जठै बडा-बडा मकड़ी रा जाळा पळपळाट करता पसरता रैवै। च्यांरूमेर हरियाळी ही, कठै-र्इ घणी जाडी, जिणसूं म्हंनै नान्ही पूथी माछली री चितार हुवै ही। कठै-कठै पत्ता गोळ हा, जांणै कदै-र्इ म्हारांणी विक्टोरिया री छाप वाळा चांदी रा रिपिया हुया करता। अर बिरिना रा दरखत तौ धवळै फूलां सूं लड़ालूम हुया दीखै हा, जांणै बादळ जमीं सूं किलोळ करै।
मीराजकर अबै-र्इ खिड़की सूं बारै देखै हा। वठै बंदूकां री धांय-धांय? नीं, नीं हुय सकै। दिल्ली री हौड करां तौ अठै सुरग है। दिल्ली मांय अबै कुण रैय सकै? अफगांन अर तुरक शायरां जिणनै जमुना कैयौ, वा अबै फगत बांसीलौ नाळौ बणनै रैयगी। सदर बाजार! हे भगवांन! इत्ती भीड़, जांणै जुद्ध रौ मैदांन हुवै।
हवळै-हवळै, म्हानै ठाह-र्इ नीं पड़îौ अर सूरजी री किरणां मांदी हुंवती रैयी, जांणै अजगर आपरी कांचळी उतारनै अंधियारै मांय गमतौ हुवै।
हर्र.... हर्र...... कट..... कट..... री बोली करती कार वठै मारग मांयनै-र्इ अेक झूंपड़ै बरणी दुकांन रै सांम्ही झटकै रै साथै थम्मी। रमाकांत लम्फनै बारै निसरîौ अर बोनट खोल्यौ। पछै वीं म्हानै बतायौ कै रेडियटर चूग्यौ अर वींरौ समचौ पांणी निवड़ग्यौ। अबै कीं उपाव कोनी, इणसूं दूजौ कै गाडी मिसतरी नै दिखाइजै।
मीराजकर अर म्हैं र्इज गाडी सूं उतरग्या। वठै वीं भांत री केर्इ दूजी दुकानां-र्इ ही, जिणां मांय चांनणौ खासौ कमती हौ। वठै काचा नारेळ अर चाय बिकै ही। मीराजकर बोल्या, ''जे गाडी जंगळ मांय खराब हुय जावती तौ गजब हुय जावतौ। देखौ, अबै-र्इ कित्तौ अंधियारौ हुयग्यौ!
म्हैं हामळ मांय सिर हलायौ। रमाकांत वठै दुकानां मांय मिसतरी रै पेटै जांणकारी लेवणै लाग्यौ।
चांणचक, थोड़ै-सै आंतरै, अेक दुकांन मांयनै सूं अेक दुबळी-पतळी काया बारै निसरी। वौ अेक मरद हौ, जिणरै हाथ मांय किरासणी तेल री लालटण ही। वौ ढीलौ कुड़तौ अर धोती पैरîां हौ। धोती मुस्कलां वींरै गोडां तांणी पूगै ही। म्हारै सूं आ निगै नीं करीजी कै वौ पगा ऊभाणौ हौ कै कीं पैहर राख्यौ हौ। वौ कार रै नैड़ै आयनै थमग्यौ। वींरा बाळ लाम्बा हा अर वांनै चूंडै री भांत बांध राख्या हा। चूंडौ नीचैनै हिंडै हौ। वौ अेक डैण हौ जकौ खासौ थाकल दीखै हौ।
लालटण कीं ऊंचायनै वौ बोल्यौ, ''गाडी खराब हुयगी? सात कोस आंतरै अेक दुकांन है। थम्मौ, म्हैं आपरै खातर किणी कार नै थाम्मू। डलेवर वीं मांयनै बैठनै वठै सूं मिसतरी ला सकै। थे म्हारी दुकांन मांय बैठौ अर ताती-ताती चाय पीवौ। पांन र्इज मिल जासी।
वौ सड़क रै अैन बिचाळै खड़îौ हौ अर आपरी लालटण हलावै हौ। वींरौ चूंडौ सरकनै कांधा माथै आग्यौ हौ। कमती चांनणै मांय वौ भूत बरणौ लागै हौ।
मीराजकर अर म्हैं वींरी दुकांन मांयनै बड़ग्या। बांस रै अेक डंडै सूं दूजी लालटण लटकै ही, जिणरौ गोळौ फूटîोड़ौ हौ अर खासा कोजी र्इज हुय रैयी ही। लकड़ी री अेक बैंच रै नीचै अेक जूंनौ स्टोब पड़îौ हो अर कीं जरीजेड़ा डब्बा-र्इ हा। कच्ची भींत माथै अेक कैलेंडर लटकै हौ, जिण मांय अेक रूपाळी रौ चितरांम हौ। रूपाळी सिगरेट पीवै ही।
म्हे बैंच माथै बैठग्या। मांयली कोठड़ी सूं अेक लुगार्इ आर्इ। वा र्इ डैणती ही अर आपरै हाथ मांय लालटण लियां ही। वा बोली, ''सगळौ दिन इंयां निसरग्यौ जांण म्हे समदर सूं माछली पकड़ता हुवां, अेक-र्इ मिनख नीं आयौ देखणै में।
''कुण-र्इ गिराक नीं आयौ? म्हैं इचरच सूं बूझîौ।
''सड़क रै दोनूं पासै अबै मोकळी दुकानां है। वा बोली, ''वांनै गिराक नूंतणा आवै। वठै गाणां-र्इ बाजै। पछै वा म्हारै और नैड़ै हुयनै मुधरी-मुधरी बोली, ''वै सो-कीं बेचै। म्हे भगत आदमी हां। इण फोटू नै लेयनै र्इज म्हारी अर म्हारै धणी री टाबरां सूं खासी राड़ हुवै।
वीं अबै अेक केतली चकी अर चाय खातर पांणी लावणै बारै गयी परी। वींरी लालटण रै चांनणै मांय अबै म्हे फाटîोड़ौ ब्लाउज देख सकै हा। वींरै नीचै रा गाभा सूती हा अर पुराणी कढा़îेड़ी चादर माथै पांन री पीक रा चांका हा। केतली मांय पांणी लेयनै वीं स्टोब जगावणै रा जतन करîा। स्टोब मांयनै स्यात तेल थम्मै हौ। इणी कारणै कोठड़ी मांय अेक तीखी बांस पसरगी।
डैणती आपरै धूजतै हाथां सूं चाय खातर गिलासां नै चोखी भांत जचावै ही। म्हानै चोखौ लाग्यौ, ''अम्मा, म्हारै मुंडै सूं निसरîौ, ''दूजौ कुण-र्इ नीं थांरौ स्हारौ लगावणै नै?
''म्हारी बहू, बडै छोरै री लुगार्इ, म्हानै स्हारौ लगावै। लारलै बरस बाढ़ आर्इ तद बेटौ किणी बीमारी सूं सुरग सिधारग्यौ। म्हे वींरौ इलाज र्इज नीं करा सक्या। डाक्टर तौ अबै डाकू बणग्या। जद वीं री मौत हुर्इ तद वींरी लुगार्इ पेट सूं ही। अबै उणरै बेटौ हुयौ है। वा खासी थाकल है..... आपरै पगां माथै-र्इ ऊभी नीं हुय सकै।
''और कुण-र्इ नीं?
''म्हारै दो बेटा अर अेक बेटी है। वै इस्कूल पढ़नै जाया करता, किणी बगत। अबै तौ सो-कीं बदळग्यौ। बेटी अेक फौजी रै चक्कर मांय पड़गी। वै फौजी आतंकवादîा रौ खात्मौ करणै आया हा। अठै रा छोरां वींनै झेगरदी। अबै हवळै-हवळै वा ठीक हुवै..... के बतावूं, बेटी, लारलै बरसां-बरस सूं ओ-र्इ सो-कीं चालै। नरक बणगी आ जिंदगांणी। नदी रौ कीं धरोज नीं। वा म्हारी समची जमींन चाटगी। अबै तौ इत्ता-र्इ चावळ कोनी कै......
वौ डैण अबै तांणी बावड़ग्यौ हौ। वौ आपरै हाथ मांय वीं भांत सूं र्इज लालटण लियां हौ। स्यात वौ मिसतरी लावणै खातर डलेवर नै बहीर करणै मांय कामयाब हुयग्यौ हौ। जठै खड़îौ हौ, वठै सूं र्इज वीं आपरी लुगार्इ नै हेलौ करîौ, ''औ निरमली री मां, गिराकां नै खुद री दुखयारी कहाण्यां सुणा-सुणायनै आखता नीं कर। अै थक्योड़ा है। आंनै चाय प्याव।
डैणती आपरै धणी नै देखनै फटाक सूं खड़ी हुर्इ अर पछै वींरै नैड़ै जायनै हवळै-सी बोली, ''मनोहर अर कीं दूजा मिनखां आज वींनै रेलवै लैंण कन्नै देख्यौ हौ।
अेक छिण खातर जांणै वौ डैण बुत बणग्यौ हुवै। पछै बोल्यौ, ''वांरी बातां मांय नीं आव। लारली बरियां र्इ तौ औ कैयौ हौ कै वींनै रेलवै लैंण कन्नै देख्यौ है। .....आंनै चाय दी के? अै काजीरंगा सूं बावड़îा है। खासा थक्योड़ा हुयसी। बिस्कुट-र्इ दे चाय रै साथै।
''बिस्कुट? वै कठै सूं दूं? सगळा पिस्सा तौ लारलै हफ्तै चीणी अर चाय पत्ती लावणै मांय र्इज सामड़ग्या।
मीराजकर अर म्हैं अेकै साथै बोल्या, ''नीं, नीं, कीं दरकार नीं बिस्कुटां री। दूध रै बिनां री आळी चाय र्इज चालसी।
डैणती चाय बणावै ही, पण वींरै मुंडै कीं अणसाफ-सी बोली निसरै ही, ''भगवांन-र्इ जांणै, म्हैं आ दुकांन किंयां चलावूं। लारलै सात बरसां मांय नदी म्हारी समची जमीन लीलगी। वठै सड़क रै कांठै बाढ़-राहत वाळा आपरा तम्बू लगाया हा..... बस्स, अेक सौ रिपिया देयनै म्हारौ मुंडौ बंध कर दीन्हौ।
डैण दाकळîौ, ''डैणती, जबान नै थाम्मै कै नीं? पण डैणती री खुसरपुसर बंद नीं हुर्इ। वा कैंवती रैयी, ''इण डैण नै वांरा पग पकड़ता संकौ आवै। सरकार स्हारै सारू जका पिस्सा दिया हा, वै खुद-र्इ गिटग्या। हे∙∙, लारलै सात बरसां मांय के कोनी हुयौ म्हारै साथै, अर औ मरद आपरै दिमाग मांय पुराणा फितूर पाळîा अठीनै-वठीनै कुदड़का करतौ फिरै। जे कड़ूम्बै रौ कुण-र्इ बड़बरुवा (अहोम सूबै रौ मंत्री) हुयौ हुसी तौ, जिणरै गेडियै रौ नखौ सोनै सूं मंढ़îोड़ौ हुवै अर छत्तै री डांडी चांदी री हुवै कै जकौ जबरै आसण बिराजतौ हुवै, तौ इणसूं के हुयौ? ...म्हैं बरियां-बरियां इणसूं कैवूं कै, पण औ है कै किणी कर्मचारी सूं मिलै र्इज नीं.... अर इणी रै कारणै म्हे लारलै सात बरसां सूं भीखौ भोगां..... किरपा करनै सरकार नै बतावौ कै म्हारी गत के हुयग्यी है..... जदै-र्इ कदै......।
डैण वीं कांनी रीसाणौ हुयनै देख्यौ। पछै म्हानै कैंवता थकां बोल्यौ, ''थे इणरी गिनार मत्ती करौ। जदै-र्इ अठै गिराक आवै, आ इण भांत र्इ बरड़ावणै लागै। इणरौ बस चालै तौ आ टूरिस्टां नै काजीरंगा री ठौड़ बाढ़ सूं बरबाद हुया मिनखां सूं मिलवावणै ले जावै। जका डांगरां री भांत जीवै।
अबै वीं कांनी घुरका काढ़नै हुकम चलायौ, ''खड़ी हुय, पैलां इणां नै चाय दै। तावळी। चाय मांय अदरक गेरणौ नीं भूली। जे अदरक नीं है तौ तेजपात री अेक-अेक पत्ती न्हाख दै।
ठीक उणी बगत म्हारी निजर भींत माथै लटकतै दोतारै ऊपरां पड़ी। म्हैं तदै तांणी वींनै देख्यौ कोनी हौ, क्यूंकै वौ उणी बैंच रै लारै हौ, जिण माथै म्हे बैठîा हा। वठै, भींत सूं अड़ौअड़ और-र्इ खासा चीजां ही- बोरी, पींपा अर नारळी। वांनै देखनै म्हंनै इचरच हुयौ। दोतारै माथै खासी कारीगरी करीजेड़ी ही। लाग्यौ, वींरी ख्यांत चोखीभांत राखीजै।
''इण दोतारै नै कुण बजावै है, दादा?
डैण रै उणियारै माथै, ओ सवाल सुणतां-र्इ, रुणक बापरगी। इणसूं पैलां आ चितार-र्इ नीं करीजै ही कै वौ इण भांत मुळक सकै है के। कैवणै लाग्यौ, ''डिफलू नदी रै कांठै माथै जका नामघर देखणै आवता, वै म्हारै इण दोतारै सूं जांणौजांण हा। पण दुख है कै नदी आपरै कांठै माथै बण्योड़ा केर्इ नामघरां नै खायगी। अरीमराह, होलापर, कोहारा, मिहिमुख..... आं समची ठौड़ रैवणैवाळा म्हारै दोतारै नै जांणता। और तौ और, ब्रहमपुत्र रै परलै पासै रा बेहाली रा आदमी-र्इ म्हारै गीतां रा बडमगारा हा।
डैणती अबै तांणी अदरक कूटली ही। कीं झाळ खायनै बोली, ''औ डैण अबै नक्काशीदार सीसां जड़ी पालकी री गप्प मारसी। बेटै नै गयां दो म्हीना हुयग्या। वौ भूखौ, माड़ैहाल, रेल रै लीक कन्नै कठै-र्इ म्हारी उडीक करतौ हुयसी। पण औ डैण तौ वींरै पेटै सुणणौ र्इज नीं चावै।
डैण अबै घुरक्या काढ़îा, ''बकवास बंद कर, डैणती! दो कप चाय बणावणै मांय तौ थंन्नै बरस लागग्या।
प्रोफेसर मीराजकर चांणचकै-र्इ बोल्या, ''म्हैं थांरौ दोतारौ सुणसूं।
''क्यूं कोनी? डैण जांणै पैलां सूं त्यार बैठîौ हौ। ''थांरै मिसतरी नै आवणै मांय कीं बगत लागसी। जका अठै चाय पीवणै आवै, वै म्हारौ गीत जरूर सुणै।
''गिराकां री बात करौ? लारलै केर्इ दिनां सूं अठै के कुण-र्इ गिराक आयौ है, कारां भलां-र्इ खासा टिपी हुवै? डैणती रौ बड़बड़ावणौ चालू हौ। ''म्हैं गिराकां नै चाय झलावूं। थूं रेल री लीक माथै जा अर देख। लालटण साथै लेंवतौ जाइजै। थांरौ के, थूं तौ अेकर गप्प मारणै अर गीत सुणावणै बैठग्यौ तौ बैठîौ-र्इ रैयसी।
''म्हैं आ कथा पैलां-र्इ सुण लीन्ही। केर्इ म्हींना पैलां के इण भांत री अफवाह नीं उडी? डैण वींरै हाथां सूं चाय रा गिलास लेंवता अर वांनै हेतसमेत म्हानै सूंपतां थकां सांम्हणौ करîौ। पछै खासै धीजै सूं बोल्यौ, ''थांरी चाय लेवौ। म्हैं अबै-र्इ सरू करूं।
चांणचकै-र्इ अेक छोरी, ढचरकौ देंवती-सी, वठै आ पूगी। वा खासी दोरपार्इ सूं, गेडियै रै स्हारै चालै ही। वींरा बाळ लाम्बा, रेसमी हा। वींनै देखतां-र्इ डैण अर डैणिती उण माथै ताचक्या, ''क्यूं आर्इ है अबै अठै, गंडकड़ी?
म्हे हाथूंहाथ जांणग्या कै आ वा-र्इ छोरी है, जिणरौ भारतीय फौज रै अेक फौजी साथै चक्कर चाल्यौ हौ। वै फौजी इण इलाकै मांय आतंकवादîां रौ खोगाळ करणै आया हा।
चाय सांचाणी सुवाद ही। डैण आपरौ दोतारौ उतारîौ अर वींरी तांन साधतां बोल्यौ, ''काजीरंगा में थांरै शेर देखणै मांय आयौ के? लोगां रौ कैवणौ है कै सन 1966 मांय फगत दो शेर हा। अबै साठ रै लगैटगै है। गैंडां पैलां फगत तीन सौ हा। अबै अेक हजार पांच सौ हुयग्या। पांच सौ रै लगैटगै हाथी हैं।
''म्हारै कीं हाथी देखणै मांय आया। म्हैं कैयौ। ''के वै कदै-कदास अठीनै-र्इ आ जावै?
''अबै नीं आवै, क्यूंकै गाडîां बहोत आवै-जावै। बाढ़ आवणै सूं पैली तौ वै म्हारै धांन रै खेतां मांयनै-र्इ आ जावता अर म्हे सगळा किरसांण मिलनै वांनै काढ़ता। शेर अबै-र्इ आ जावै। थांनै ठाह है, केर्इ दिनां पैलां के हुयौ? दिमुर्इगुडि़या महंत रौ हाथी सड़क कांठै रै अेक तळाब रै नेड़ै दरखत सूं बांध्योड़ौ हौ। वौ खासौ सुधौ हौ। जदै कदै वींनै डिफलू मांय न्हावणै ले जाइजतौ, वठै वौ छोरा-छोरîां सूं खेलतौ रैंवतौ। उण दिन वौ तळाब रै कन्नै पसरîोड़ौ हौ कै शेर हमलौ कर दियौ अर वींरै पूठै रौ बोळसारौ मांस काढ़नै लेयग्यौ।
''हे भगवांन! म्है डरतां थकां कैयौ, ''पछै के हुयौ?
''हाथी तौ जांणौजांण जीव है नीं। थे म्हारै अठै री मोआमारिया क्रांति रै पेटै सुण्यौ हुयसी कै जदै अहोम राजावां रै खिलाफ वैष्णवां जुद्ध करîौ हौ! वौ अेक हाथी रै कारणै-र्इ हुयौ।
''हाथी?
''हां, अेक थाकल-सौ, टिल्ला खावतौ हाथी। आ राजा लक्ष्मणसिंघ रै जमांनै री बात है। राजा बडेरौ हौ, पण तदै-र्इ सिंघासण माथै बैठîौ हौ। आपरै मंत्री कीर्तिनाथ बड़बरुवा सूं वींरी खासा घुटती। संजोग सूं अहोम राजावां मांय लक्ष्मीनाथ अर गौरीनाथ खासा कोजा हा। मदछकिया अफीमची र्इ हा। इणी कारणै वांरी आंख्यां दोरपार्इ सूं र्इ खुलती। गौरीनाथ री आंख्यां अेक मछुआरण माथै ही। मछुआरण डिफलू रै कांठै रैंवती। वौ वठै आपरी पालकी मांय जावतौ अर घंटां तांणी उणरै घर रै बारै उडीक करतौ रैंवतौ, जदकै वा......।
''वीं हाथी वाळी बात रौ के हुयौ? म्हैं बूझîौ।
''कीर्तिनाथ बड़बरुवा री मोआमारिया रै महंत सूं अड़ती। कानून औ कैंवतौ कै महंतां कांनी सूं हरेक बरस राजदरबार मांय हाथी देरीजणौ चाहीजै। अेकर आं महंता बडबरुवा नै अेक बीमार हाथी भेंट कर दीन्हौ। हाथी आखड़ै हौ। मंत्री री जिंयां-र्इ इण गळîोड़ै बीमार पसु माथै निजरां गर्इ, वौ रीसाणौ हुयग्यौ। वीं हाथी रै साथै आयोड़ै महंत रा कांन काट लीन्हा......।
डैणती सूं सैइजौ नीं। वा बिचाळै-र्इ बोलगी, ''कांन काट लिया? अरै डैण, भगवांन खातर खुद री लालटण तौ चसा अर जा देख.... कठै-र्इ वौ बिच्यारौ मिलिट्री री गोळîां सूं घायल नीं पड़îौ हुवै!
डैण आपरी बात चालू राखी, जांणै वींनै डैणती री बात सुणी-र्इ नीं हुवै, ''आसोज रै वीं म्हीनै मांय नौ हजार मोआमारिया फौज्यां कीर्तिनाथ नै बंदी बणा लीन्हौ। वौ तद रंगपुर जावै हौ। औ सो-कीं वीं हाथी रै कारणै-र्इ हुयौ, वीं बीमार हाथी रै कारणै।
म्हे वठै बैठîा चाय पींवता रैया अर डैण री बातां रा रस लेंवता रैया। रमाकांत कीं ताळ सारू आयौ। वीं आपरी चाय पी अर गयौ परौ। जावतौ-जावतौ कैयग्यौ, ''कांम मांय टैम लागसी। डेढ़ घंटां तौ लागसी-र्इ। मिसतरी रेडियटर नै आपरै कारखांनै लेग्यौ।
डैणती अबै म्हारै नैड़ै आयगी। बोली, ''आज खासा कमती गिराक आया है। बेटी, अेक-अेक कप चाय और लेल्यौ। अबै म्हारै कन्नै चीणी अर चाय-पत्ती है।
म्हे चाय रै और दो कप सारू कैय दीन्हौ। इण बिचाळै वौ डैण आपरै दोतारै रा तार कसतौ रैयौ। ''म्हैं खासा दोरपार्इ सूं इण दोतारै नै बाढ़ सूं बचायौ। अबै इण इलाकै मांय कुण-र्इ इस्सौ कारीगर नीं है जकौ इणभांत रा दोतारा बणा सकै।
डैणती फेरूं कैयौ, ''म्हैं गिराकां री ख्यांत राखसूं। थूं लालटण ले अर रेलवै लीक माथै जायनै वींनै देख। के ठाह.....!
डैण नै अबै उथळौ देवणौ-र्इ पड़îौ, ''म्हारी आंख्यां अबै कांम नीं करै अर आ लुगार्इ चावै कै म्हैं अंधियारै मांय वींनै ढूंढूं। लारलै दिनां री तौ बात है। म्हैं वींनै देखणै सारू गयौ अर आखड़नै पड़ग्यौ। म्हारै गोडां मांय हाल-र्इ लाग है अर पीड़ हुवै। म्हारै दिल री र्इज बीमारी है.... सुण बेटी, म्हारी गत सदीनी अैड़ी नीं ही। बाढ़ रै कारणै हुयौ है औ सो-कीं...... म्हारी मजबूरी ही कै म्हानै इण सड़क रै कांठै आसरौ लेवणौ पड़îौ अर अबै म्हे दिन-रात गिराकां री उडीक करां। म्हे-र्इ कदै इज्जतदार आदमी हा। म्हारै दो खेत हा, जका धांन सूं भरîा रैंवता। कुण-र्इ बटाऊ आवतौ तौ सौरमवाळा चावळ अर काओर्इ माछली सूं वींरी मनवार करता। म्हे बड़बरुवा कड़ूम्बै सूं हा। इण कड़ूम्बै नै औ हक हौ कै वौ दंड रै पेटै अपराध्यां रा गोडा तोड़ न्हाखै। पण म्हारौ बाप दयावाळौ मिनख हौ। जे दिन हुंवतौ तौ म्हैं थांनै म्हारै घरै ले जावतौ अर थांनै वै समची चीजां दिखांवतौ, जिणां मांय म्हारी इज्जत उघड़ै। अेक खास भांत री टोपी है, जकी किणी भांत बचती रैयगी। छत्तौ है, चांदी रा ठांम है, सजधज वाळौ पिलंग है अर चांदी रौ सरौतौ है। पण म्हारै धांन रा खेत, जका म्हंनै ज्यांन सूं बेसी व्हाला हा अर जका सोनूं अर मोती निपजाता, अबै नीं रैया।
डैणती रीसां सूं सिलग उठी। ''पुरांणी कब्रां क्यूं खोदौ? म्हैं खुद वठीनै जावूं अर वींनै ढूंढूं।
''बोलबाली रैय, डफोर! कित्ती बरियां आपां सुण लीन्हौ कै वौ बावड़ग्यौ? पण बावड़îौ के? वौ कद बावड़îौ? आपां तौ वींरौ उणियारो ओळखणै पेटै तरसां। अबै अै दो भला आदमी पधारîा है। म्हंनै आं री सेवा करणै दै। इणां नै कीं बिसांर्इं तौ मिलणी चाहीजै।
डैण अबै अेक गीत गावणौ सरू कर दीन्हौ हौ। वौ पदमप्रिया वैष्णवी रौ कथीजेड़ौ हौ-
''आ जगती किणी कांम री नीं
पांणी रै बुलबुलै भांत
जका कमल रै पत्तां माथै पड़ै
पैलड़ी कूंत किणी रौ लारौ नीं छोडै
वा सैंग नै राख री ढिगली बणा देवै....
औ जौबन, आ जवांनी,
समची सपना बरणी, जकी निवड़ जासी।
म्हंनै वींरी आंख्यां मांय आडी-तिरछी लैणां चड़ूड़ दीखै ही। वींरा कीं दांत पड़îोड़ा हा। गाल बैठîोड़ा हा, जिणरै कारणै वींरी नाक और-र्इ लाम्बी दीखै ही। वौ लगौलग गावै हौ। गीतां रौ कठै-र्इ छेहड़ौ नीं हौ। पदमप्रिया री रचनावां पछै वीं कीं दूजा वैष्णव संतां रा गीत गाया। म्हंनै लाग्यौ जांणै म्हैं डिफलू रै कांठै बैठी हूं अर पांणी सूं कुचमाद करती चांद नै निरखूं।
लगैटगै अेक घंटै तांणी गावणै रौ औ कारज चाल्यौ। बिचाळै-बिचाळै वींरी लुगार्इ बरड़ावै ही। वींरी अेक-र्इ रट ही, ''लोग बतावणै आया हा कै वौ रेल री लीकां स्हारै है.... वींनै चायै सेना रा जवांन चालणीबेझ करदै, इण माथै कीं असर नीं हुयसी......।
चांणचक-र्इ डैण गावणौ बंद कर दियौ। मीराजकर तावळै-सै आपरै कोट री गूंजा सूं कीं पिस्सा काढ़îा अर वांनै सांम्ही पड़ी सुपारी वाळी थाळी मांयनै धर दीन्हा।
''अरै निरमली री मां! डैण कीं जोर सूं कैयौ, ''इणां मांय सूं चाय रा पिस्सा काट लै अर बाकी पाछा कर दै। पछै मिराजकर कांनी मुड़नै कैयौ, ''थे इत्ता पिस्सा क्यूं धरîा हजूर? म्हारा गीत तौ संतां रै गीतां री गूंज है। जे इणां रा कुण-र्इ दांम चुकावै तौ म्हंनै पीड़ हुवै। कुण-र्इ म्हारी मनगत नीं समझै, कुण-र्इ नीं।
डैणती पिस्सा कांनी आंख्यां काढ़ै ही। वीं वांरै हाथ तांणी नीं लगायौ, नीं र्इ मुंडै संू कीं बोली।
इत्ती ताळ मांय म्हानै बारै अेक जबरौ खुड़कौ सुणीज्यौ। जांणै कै बम फाटîौ हुवै। म्हानै लाग्यौ कै जांणै म्हे जमीन सूं चकनै पटकीजा हुवां। कन्नै-र्इ दरखत री ओट सूं अेक आदमी प्रगटîौ अर पछै वौ दुकांन मांय म्हारै सांम्ही आयनै खड़îौ हुयग्यौ। सो-की छिणेक मांय हुयौ। इण कारणै म्हारा कंठ सूखग्या।
वौ जवांन छोरौ हौ। वींरै गाल ऊपरां अेक डूंगौ घाव हौ- आंख सूं लेयनै होंठां तांणी। वठै स्यात गोळी लागेड़ी ही, कै धारवाळै चाकू आपरौ कांम करîौ हौ। घाव सूं खून निसरै हौ। वींरै होंठां रौ मांस अळगौ हुयोड़ौ-सौ दीखै हौ, लालटण रै धूजतै चांनणै मांय वींरा दांत चड़ूड़ दीखै हा।
म्हैं डैणती रै सारै लागी। वींरौ हाथ म्हैं म्हारै हाथां मांयनै लियौ अर वींनै कसनै पकड़ लियौ। म्हे दोनूं धूजै ही। छोरौ काळी जींस अर खाकी जैकेट पैहरîां हौ। पण, वींरै हाथ मांय कीं नीं हौ। रिवाल्वर? वठै चांनणौ खासौ तौ नीं हौ, पछै-र्इ रिवाल्वर री नाळ तौ दीखै-र्इ ही। डैणती बावळै री भांत चिरळी मारी, ''औ म्हारा बेटा! म्हैं तौ थांरै बाप नै सौ बरियां कैयौ कै जा वींनै देख, वौ रेल री लीकां कन्नै हुसी। आ बेटा, आ! के हुयौ थांरै? इण भांत खंून क्यूं निसरै? वींरौ डील अबै कोजी भांत कांपै हौ अर वा तड़फै ही।
चांणचक छोरै री निजरां वीं छोरी माथै गर्इ जकी कूंणै मांय बैठी डर सूं धूजै ही। वौ गोळी री भांत वीं माथै झपटîौ। वींरै बाळां नै पकड़नै पेट माथै मुक्का मारणै लाग्यौ। ''म्हैं थांरै इण पेट रौ खीस काढ़ देसूं। इण पेट मांय जिण फौजी रै हरामी कुरियै नै पाळै है, वींनै मार देयसूं।....अरै, सूगली गंडकड़ी, अेक भारतीय फौजी सूं प्रेम रचावै! थू..... थू......! अर वौ अबै वींरै पेट माथै लातां मारै हौ।
''अरै बाप रै! औ तौ वींनै मार-र्इ देयसी। डैण-डैणती वीं आंधै हुयड़ै छोरै नै नाकै करणै री आफळ करी।
छोरै आपरै मां-बाप कांनी देख्यौ तकात नीं। पछै वीं री निजरां आपरै बाप रै सांम्ही पड़îां पिस्सा कांनी गर्इ अर वौ चांणचकै-र्इ लंम्फîौ।
डैण दाकळîौ, ''अै म्हारा पिस्सा कोनी, बेटा! अै इण गिराकां रा है। इणां नै पाछा दे दै।
छोरै बाप री बात माथै गिनार नीं करी। वौ जांणै खुद सूं कैंवतौ हुवै, ''पोचर लोग अेक अमरीकी कारबाइन बेचै। पुरांणी तौ वा है पण है मजबूत। इण पिस्सा सूं म्हैं.....
पछै म्हानै कैंवणै री गत सूं बोल्यौ, ''थे सोरपार्इ सूं कीं रकम दे सकौ तौ ल्यावौ, काढ़ौ। म्हारै कन्नै बगत नीं है।
म्है बगना-सा अेक-दूजै कांनी देखणै लाग्या।
वौ आंधी री भांत आयौ अर आंधी री भांत जावणनै हुयौ। जांणै काळी, अंधियारी रात मांय बिजळी चिमकी हुवै।
डैण रै होंठां अबै अेक भांत री बांकी मुळक-सी सांचरी। म्हारै जीवण मांय म्हैं पैलां कदै अैड़ी मुळक नीं देखी ही।
मीराजकर अर म्हैं अबै गुहावाटी कांनी बधै हा। म्हारै मांयनै सूं कुण-र्इ कीं नीं बोल्यौ। जांणै कै म्हे अेक छेहड़ैबिहूणी, अंधियारी सुरंग मांयनै बगै हा।

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