पंजाबी कहाणी


अडाणै धरयोड़ी आंख्यां

—कर्तारसिंह दुग्गल

''माफ करज्यौ, इग्या हुवै तौ म्हैं अठै......  सड़क कांंठै, भाठै री भींत माथै, अेकली बैठी रूपाळी कांनी बधतां थकां वौ उणसूं, वठै बैठणै री इग्या चावै हौ। अर वा उणरै कांमणगारै उणियारै कांनी देख्यौ, जांणै कुण-र्इ बांवा पसारîा, किणी नै समचौ बावां मांय भरतौ हुवै। उणरै काळजै रौ हजारी पाटौ, जांणै कदै सूं-र्इ किणी री उडीक करै हौ। फूलां सूं भरîै, हरियळ पार्क नै छोडनै, इण सूनी सड़क माथै, च्यांरू पासै पसरîोड़ै नीम री जाडी छिंयां रै नीचै वा आयनै बैठ जावती। किण कारणै?
लोकगीतां री गीतेरण माहिया तांणी वींरौ हेलौ नीं पूग्यौ। तदै-र्इ तौ वीं रागळी करी-
बेसमझ नै समझ नीं आर्इ.........
''म्हारौ नांव फरीद है। अेक बोलबालै पछै, उण कांनी डूंगी निजरां न्हाखतौ वौ बोल्यौ।
''फरीद शक्करगंज! वा मुधरी-मुधरी मुळकै ही। वीं सुण्यौ अर ऊपरली सांसां ऊपर अर नीचली सांसां नीचै रैयगी। इंयां लाग्यौ, जांणै ओ-र्इ तौ वींरौ नांव है। वींरै कांनां मांय उण नांव री पड़गंूज हुवणै लागी। फरीद-उद-दीन औलिया! अर वौ पांणी-पांणी हुयग्यौ। जमीं दराड़ नीं देवै ही, नीं तौ वौ उण मांय जा बड़ै। ढक्कणी मांय नाक डूबोवणै जेड़ी बात ही।
अर पछै वौ उणरै, पांन रै पत्तां जैड़ै, कणकबरणै उणियारै कांनी देखतौ रैयौ। बडी-बडी काळी आंख्यां, नींदाळू-नींदाळू, जांणै कोर्इ लाम्बी कहांणी वीं मांय पसवाड़ा फोरै। झम्म-झम्म करता रेसम रै लच्छां जैड़ा बाळ! सीधौ-सादौ चूंडौ, सीधी-सादी सलवार-कमीज, पगां मांयनै कोल्हापुरी चप्पलां। इण चप्पलां सूं वा इत्तौ पैंडौ किंयां काट लेवै? दिनुंगै-आथणगै पार्क मांय लाधै, बीस सूं बेसी दूजा घूमणै आवै- मरद, लुगार्इ, टाबर, पण वा सदीव सगळा सूं न्यारी दीखै।
ल्हुकी रैवै नीं हीर हजारां मांय, वासिरशाह इण भांत हीर रै पसम री कीं बडम करी ही। जांणै बडाळ हरîै लान मांय कोर्इ खुम्भी निसरगी हुवै। कदै अठीनै, कदै वठीनै। जदै-कदै दिनुंगै वौ जावतौ, तौ वा पैला वठीनै बैठी हुंवती। जांणै उडीक करती हुवै। जद सिंझîा री सैल माथै जावतौ, कदै किणी अशोक रै दरखत रै हेटै, कदै अमलतास रै तळै, वा सौरम लुटांवती हुंवती।
उण दिनां वा आपरी अेक भायली रै साथै सैल करणै आवती। गोरीगटट। जांणै हाथ लगांवता-र्इ मैली हुय जावै। वींनै देख, पैलपोत इंयां लाग्यौ कै गोरौ रंग कित्तौ मंगसौ हुय सकै। जांणै काची-लास्सी हुवै। असली रंग तौ कणकबरणौ हुवै, जैड़ौ वींरौ हौ। वींरै मुंडै नै देखतां-र्इ, पाक्योड़ा, सोनै बरणा खेत चेतै हुय जावै। और तौ और, आवतै-जावतै जदै-कदै वीं सूं भेंटां हुय जावता, तौ पाक्योड़ी कणक री जबरी म्हक-सी आवती। आ म्हक वींसूं खासा ताळ तांणी ल्हुकमीचणी खेलती। 
वींरी गोरै रंगवाळी भायली कित्ता भड़कावू गाभा पैरती। सैल करणै कुण-र्इ सज-सिणगरनै थोड़ी-र्इ आवै। रोजीनै नवौ जोड़ौ गाभा रौ। गाभा रा रंग वींरै आंख्यां गडता। अेक आंच-सौ अठीनै-वठीनै लागतौ। अर अेक वा ही, के बात कै वीं कदै-र्इ भड़कावू रंग रौ गाभौ पैहरîौ हुवै। वींरी कदकाठी, डोळडाळ, वींरी चालचूल अर वींरै लुळतावूपणै आगै चटक रंग-र्इ फीका-फीका लागता। कामड़ी-सौ डील, बस्स बित्ती ऊंची, जित्तौ अेक रूपाळी नै हुवणौ चाहीजै। सैंग सूं जबरी वींरी चाल ही। चालती, तौ लागतौ जांणै कुण-र्इ नाचै। चालती थोड़ी-र्इ, वा तौ पग-पग, काळजै रा किंवाड़ खोलनै, धिगांणै मांयनै बड़ती जावती। वींरी भायली, आपरा बाळ किंयां बांवती। अठीनै टेढ़ा, वठीनै भेळा। कीं बात हुर्इ। वींरै साथै चालती, वींरी सीधी टाळ, सुथरार्इ सूं बणायोड़ौ चूंडौ, इणरै मन रै धीजैपणै नै ओळखावै। वीं दिन किणी बात माथै हांसै ही। जांणै चमेली री कूंपळां संू भरîोड़ी झोळी उझळगी हुवै। कंूपळां र्इ कूंपळां आगै-लारै खिंडगी हुवै। च्यांरूपासै मदभरîोड़ी सौरम। वीं उणरौ नांव 'सौरम धरîौ।
अरै हां, वींरौ नांव बूझणौ तौ भूल-र्इ-ग्यौ। खुद रौ नांव तौ बतायौ, पण वींरौ नीं बूझîौ।
''हां, सांचाणी, थारौ नांव के है? माफी बगसजौ, म्हंनै औ पैली बूझ लेवणौ चाहीजै हौ।
''थांनै स्यात चितार कोनी? थारै चेतै माथै जोर देवौ। जतन करौ.. अच्छîा, म्हैं कीं स्हारौ लगावूं। पाळै री अेक धूजती रात। थे दिनुंगै-दिनुंगै निजामुददीन मांय म्हारै कोठै आया हा, आया हा नीं?
''चेतै नीं।
''चेतै करौ। बासती लेवणै आया हा। अबै तौ थानै म्हारौ नांव चेतै आग्यौ हुसी?
''नीं, बासती लेवणै तौ निसरîौ हौ। खुद अर मुरशद रै न्हावण खातर पांणी तातौ करणौ हौ।
''तौ पछै?
''इणसूं आगै कीं चेतै कोनी।
''चेतै करौ, बासती रै बदळै, थे खुद री बडी-बडी, काळी-काळी कांमणगारी आंख्यां म्हारै कन्नै अडाणै धरग्या हा। थांरै कन्नै अेक कोठैवाळी सारू देवणनै कीं नीं हौ।
''हां-हां, आ तौ चेतै आवै। म्हंनै उतावळ ही। मुरशद रै न्हावण रौ बगत हुवै हौ। थांरौ कैवणौ हौ, दांम दियां बिना, थूं अेक चिणगारी-र्इ नीं देयसी। अर पछै थूं म्हारी आंख्यां कांनी सैन करनै कैयौ हौ- अै थांरी दो आंख्यां म्हारै कन्नै अडाणै धरजावौ। जद बासती री कीमत चुकासौ तद अै थांरी कांमणगारी आंख्यां ले जाइजौ।
''नीं पाछै थे कदै आया, नीं म्हैं थांरी आंख्यां पूगा सकी।
''हां-हां, अबै म्हारै सो-कीं चेतै हुयग्यौ।
''अै म्हारी कांमणगारी आंख्यां वै-र्इ तौ है। तद सूं म्हैं इणांनै लियां फिरूं। अै आंख्यां, जिणानै देख-देखनै थांरौ मन नीं भरै। रोजीनै, दिनुंगै, सिंझîा, म्हंनै म्हारै घरां सूं उठायनै अठै ले आवै। मरदजात! जिण चीज नै थे 'म्हारी कैयनै लाड देवौ, बावळा हुया फिरौ, वै थांरी खुद री र्इ तौ है। थांरी जायदाद। थे, मरदां हरमेस खुदौखुद नै हेत करîौ है। खुद रै 'म्हैं नै जिंयां कुण-र्इ सीसै मांयनै देखनै मोहीजतौ रैवै। थे जदै-र्इ किण सूं हेत करîौ, वींरै मांय खुद नै पजायां राख्यौ। थांनै थांरी बडी-बडी, काळी-काळी कांमणगारी आंख्यां चाहीजै। भलां-र्इ ले लेवौ। थांरी धरोड़ है। पण, बासती री जकी चिणगारी म्हैं जबरै पाळै रै झांझरकै मांयनै थांनै दीन्ही ही, वींरौ मोल चुकावणौ पड़सी। इंयां, थे म्हंनै कित्ता दिनां सूं आखती करौ। म्हैं किणी री लुगार्इ हूं। वींनै उथळौ देवणौ हुयसी। दो टाबरां री मां हूं। मोत्यां जैड़ा म्हारा लाल। अेक बेटौ अर अेक बेटी। वांरै पेटै-र्इ म्हारौ जिम्मौ है। अर थे दिनुंगै-सिंझîा म्हंनै टांग्या फिरौ। कोर्इ बात हुयी। आंख्यां! आंख्यां! तदै-र्इ थे गायौ हौ-
कागा! सब तन खाइयौ! सगळो खाइयो मांस
दो नैणा मत खाह यो, पीव निरखण री आस।
''देखौ। छेकड़ वीं मुंडौ खोल्यौ। इत्ती ताळ, मंतरीजेड़ौ, सड़क कांठै, भाठां री भींत माथै बैठी रूपाळी रै कांमणगारर बोल सुणै हौ, ''देखौ, थांनै कीं बैम हुयौ है। म्हैं, जकौ सत्तर सूं बेसी सियाळा काढ दीन्हा, आ म्हारी उम्र किणी गळगळै उळझाड़ मांय खुदनै पजावणै री कोनी। म्हैं तौ..
''हां! हां! सांम्ही बैठी रूपाळी वींनै बरजौ। ''थे आ र्इज कैवणी चावौ हौ नीं.... म्हंनै थांरै मांयनै थारी बेटी रौ उणियारौ दीखै। वीं दिन जदै सनत्था री बाड़ रै लारै अेक हिरणी री भांत थूं फदाका मारनै म्हारै सारैकर निसरगी, थांरी चाल सागी-री-सागी म्हारी बेटी री भांत री ही। जद म्हैं देखूं, म्हंनै म्हारी बेटी री ओळंू आजावै। वा बेटी, जिणनै साब काहिरा मांय, नील रै कांठै वींरी मां री गोदîां मांयनै आ कैयनै छोड आया हा कै हफ्ता नीं, तौ दस दिनां मांय बावड़ आयसूं। अल-अजहर मांय पढ़îौ, म्हैं अठै आयनै इणी यूनिवर्सिटी मांय पढ़ासूं। अर पछै थे वठीनै मूंडौ-र्इ नीं करîौ। परी बरणी, हेत रा हबोळा मारती अेक फरिस्तै बरणी लुगार्इ नै थे बेवा बणा दीन्ही। उणरी बेटी नै यतीम कर दीन्ही। थे इंयां म्हारै कांनी क्यूं देखौ हौ, जांणै कटघरै मांय खड़îौ कुण-र्इ अपराधी हुवै? हजूर, थांरी महबूब मरियम री बेटी जैनब म्हैं-र्इ हूं..... थे चिमक्या क्यूं? थांरी आंख्यां खुली री खुली रैयगी। थे पसेव-पसेव हुवौ। पसेव, थांरै मूंडै-माथै सूं चूयनै टप्प-टप्प पड़ै। कीं और नैड़ै आयनै देखौ। वा-र्इ तौ म्हैं हूं, जिणरै काळजै री धड़क नै, थे म्हारी अम्मी रै पेट रै कांन लगायनै सुणता। जिणरी उडीक मांय थे रातूरात तांणी जाग्या। कठै-र्इ आवणैवाळौ जीव आयनै बावड़ नीं जावै। म्हारै जिवणै गाल माथलौ औ तिल तौ थांनै चेतै हुयसी....
''आ किंयां हुय सकै? 
वींरै मूंडै सूं आ सुणनै, सड़क रै कांठै, भाठां री भींत माथै बैठी रूपाळी रै जांणै गाभा रै लाय लागगी। ''हुय क्यूं नीं सकै? सात सर्इकां, उडीक करणै रै पछै, म्हैं सोच्यौ, म्हैं थांरी बेटी बणनै थांसूं थांरौ करज चुकवायसूं। खुद रै खावणै-पीवणै खातर थांरी कमार्इ मांयनै सूं पांती बंटवायसूं। थे म्हारी पढ़ार्इ सारू, म्हारै कैरियर खातर खासा रिपिया खरच करसौ। पछै बडी हुयनै, थांरै सूं दायजौ लेयनै घर बसायसूं। अर इण भांत थांनै सेकसूं। अर अठीनै थे हा कै म्हैं जद तांणी गुडाळिया-र्इ नीं चालणौ सीख्यौ हौ कै म्हंनै चकनै, म्हारी अम्मी री बांवां मांय पटक आया। हैं, थे जे उण बगत म्हारी अम्मी री आंख्यां मांयनै आंसू देख्या हुंवता? अर पछै थे वीं स्हैर कांनी ओजूं मूंडौ तांणी नीं करîौ। वै मारग, थांनै देखणै सारू सिसकै हा। अबै थांनै म्हारै उणियारै मांयनै, थांरी बेटी रौ रूप निगै आवै? म्हारी थिरकती चाल, थांरी जामेड़ी जैड़ी है, थांरी ज्यांन रौ टुकड़ौ। मरदजात, हरमेस सांच नै, हगीगत नै, आंख्यां सूं अळगी करनै पड़छिंयां लारै रबकती फिरै। हजूर, बासती री वीं चिणगारी रौ मोल चुकावणौ बिंयां रौ बिंयां पड़îौ है, जकौ कै सात सर्इकै पैली निजामुददीन री अेक कोठैवाळी नै, थांरी आंख्यां अडाणै धरनै बाकी छोडîौ हौ। अबै, म्हैं थांनै तावड़ै रौ काळौ चस्मौ लगाया, सैल करतां देखूं तौ म्हंनै बहोत हांसी आवै। हांसी-र्इ अर तरस-र्इ। अर इण माथै जे ब्याज थांरै सूं मांगू, ब्याज-पड़-ब्याज, तौ थांरौ के हाल हुसी? इंयां म्हंनै घरै सूं खेंचनै लावणौ, थे भूल जासौ। म्हारै कांनी इंयां लाळची निजरां सूं देखणौ थे भूल जासौ। कीं बात हुर्इ! दिनुंगै-दिनुंगै, सूरज उगाळी सूं पैलां नींद लेवणै रौ बगत हुवै, अर अठीनै आं साब रौ नूंतौ आ जावै। सिंझîा म्हारै अठीनै हरेक आपरी टी.वी. रै सांम्ही बैठîौ हुवै, अर बिच्यारी म्हैं, सूत रै तागै सूं पोइजेड़ी, बंध्योड़ी चाल पड़ूं। कदै कीं ओळाव! कदै कीं ओळाव! आजकालै तौ म्हारी भायली र्इज म्हारौ सागौ छोडगी कै थूं बावळी है। थांरै दौरा पड़ै। जांणी कीं ढूंढ़ मांय धक्का खावै। जोध-जवांन छोरी कदै इंयां अेकली सैल करती आच्छी लागै? लोग के कैंवता हुसी? अर आजकालै म्हैं दोनूं टाबरां नै साइकल चलावणै रै ओळावै पार्क मांय अठीनै-वठीनै धक्का खावती फिरूं। हजूर री बांदी! जिण कारणै जनाब म्हारा दीदार कर सकै। तौबा! तौबा! किणी रौ महबूब हुवणौ-र्इ कित्तौ जिम्मै वाळौ है। मिंदर री मूरत नै बरसां तांणी अेक ठौड़ बैठणौ हुवै, जिण कारणै पुजारी वींरी पूजा कर सकै, वींरै परसाद चढ़ा सकै।
''कैड़ी मासूम आंख्यां सूं थे म्हारै कांनी देखौ। आ र्इ तौ थांरी बांण है, जिण माथै लोग लटटू हुय जावै। थांनै तरस नीं आवै, बळतौ तावड़ौ हुवै, अर म्हैं टाबरां नै लेयनै, घर सूं चालूं। दिनुंगै वै जबरी नींद मांय हुवै, पण साइकल चलावणै रै लाळच, वै उठनै साथै हुय लेवै। वीं दिन जद थे म्हारै कनैकर जावै हा, म्हैं उबासी लीन्ही ही, जांणै कीं री नींद पूरी नीं हुवै। अर अबखी बात आ कै म्हंनै साइकल चलावणी नीं आवती, अर म्हैं टाबरां नै साइकल चलावणी सीखावै ही। पैली म्हैं टाबरां नै साइकल चलावणी सिखार्इ, अर पछै वां म्हंनै साइकल चलावणी सिखार्इ। वीं दिन म्हैं साइकल लियां क्यारी मांय जा बड़ी। आजकालै, बारी-बारी सूं टाबर साइकल चलावै, अर म्हैं भाठां री भींत माथै, सड़क कांठै बैठी- आपरी सदीनी नौकरी बजावूं। तावड़ौ हुवै, छिंयां हुवै, बिरखा हुवै, तौफांण हुवै, गरमी हुवै, पाळौ हुवै, हाथ बांध्या गुलामां री भांत, म्हैं हजूर रै आवणै री उडीक करती रैवूं। जनाब नै बगीचै सूं बहीर करनै चालूं। कदै-र्इ थे देख्यौ है कै थांरै पार्क मांय रैंवता, म्हैं घरै गर्इ? आजकालै अल्लाह रौ शुक्र, टाबर साइकल चलावता नीं थक्कै, नीं हारै, अर म्हैं उणांरी मां बैठी खुद री प्रीत पाळती रैवूं.......
''आ-र्इ तौ थांरी सोवणी बांण है। बिट-बिट वींरै कांनी देखतै सैलाणी वींनै बरजतां कैयौ, ''आ-र्इ तौ थांरी कांमणगारी बांण है। जिण माथै म्हैं केर्इ दिनां सूं कुरबान हुय रैयौ हूं। म्हैं नीं सोचूं, थां जैड़ी कुण-र्इ दूजी मां हुसी। किण प्रेम सूं, किण लाड सूं थे खुद रै टाबरां नै पार्क मांयनै लायनै साइकल चलावणी सिखार्इ। अर आजकालै किण धीजै सूं थे उणांरी सिखलार्इ नै पुख्ता करौ? म्हैं तौ..... म्हैं तौ.....
''थे के?
''म्हैं तौ सोचूं, जे म्हंनै फेरूं जलम लेवणौ हुवै, तौ म्हैं थांरी कूख सूं जलम लेवूं। थांरी गोदîां मांय खेलसूं।
अर सड़क कांठै, नीम रै दरखतां रै घेर नीचै, भाठां री भींत माथै, अेकली बैठी उण रूपाळी आगै बधनै वींनै, आपरै घेरै मांय ले लीन्हौ- अेक मां रौ हेज भरîौ बावांजोड़।
अर शेख फरीद-उद-दीन मिनहास रै हाथ मांयलौ, सैल रौ गेडियौ छूटनै नीचै पड़ग्यौ। आंख्यां मांय आंख्यां, जांणै वै अेक-दूजै नै पिछांण रैया हुवै।

No comments:

Post a Comment